A poetry

                  इंसानियत
मैं डूबा सा रहता हूँ खयालो मे हरदम,
क्यों तूने उसे छोड़ दिया,
क्यों नहीं है तुझे इसका गम
ऐ इंसानों, तूने तो इसका मतलब ही बदल दिया,
इंसान हो तुम इंसानियत को क्यों छोड़ दिया
नहीं होता कोई बड़ा न ही कोई छोटा
इंसानियत से बड़ा धर्म नहीं होता
                -- Abhishek Sharma 
   

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